गोदी मीडिया

Gagan Deep Chauhan

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मेरी कलम चाँदी की हो गई है,

हकूमत के तख्त पर सजे

गाव तकियों के नीचे खो गई है....

समंदर में रहते हुए, उसके नीले पानी की विशालता को धता बताकर, ये कहना कि वो प्रदूषण का शिकार हो चुका है... कुछ ऐसी ही है इस किताब को लिखने की वजह। टी.वी. पर जो कुछ दिखाया, परोसा या बेचा जा रहा है, उसमें कितना सच है और कितनी सियासत ये सवाल सब के ज़हन में है। दर्शकों ने दिखाई जाने वाली हर बात को सही समझ लिया, बिना ये जाने कि वो दिखाने का मकसद क्या है। इस सूरते हाल को लगातार नज़दीक से देखते और समझते हुए ये फ़ैसला लिया कि इस सब के बारे में कुछ कहा जाए। किताब का मकसद किसी व्यक्ति विशेष के प्रति प्रशँसा या नफ़रत का माहौल तैयार करना नहीं, बल्कि ये सिर्फ़ एक छोटी सी कोशिश है कि असल में टीवी पत्रकारिता क्या है इसे दर्शक भी समझें।

इसीलिए इस किताब को लिखते वक्त बहुत कुछ सोचा नहीं गया। क्योंकि “सोच कर सिर्फ साज़िशें की जाती हैं। ये किताब साज़िश नहीं संवाद है, अपने आप से... अपने पेशे से...”

आप पढेंगे तो जानेंगे कि टीवी स्क्रीन के अंदर-बाहर की दुनिया में कितना फ़र्क है और कितनी समानता। बंद पड़ी खिड़कियों को खोलेंगे तो हवा की ताज़गी का एहसास होगा। सोच और समझ के साथ भी ऐसा ही है।

लेखक के बारे में

गगन दीप चौहान, श्री शमशेर सिंह और श्रीमति ओमवती चौहान की तीन संतानों में सबसे छोटे, पेशे से पत्रकार हैं। 13 साल से ज़्यादा वक्त से मीडिया प्रोफेशनल के रूप में विभिन्न टीवी चैनल और शैक्षणिक संस्थानों में कार्यरत रहे हैं। संप्रति चंडीगढ़ में टीवी पत्रकार के रूप में कार्यरत। पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला से एम.ए. (जनसंचार एवं पत्रकारिता) करने से पहले आर.के.एस.डी. कॉलेज कैथल से ग्रेजुएशन। पढने-लिखने, कविताई करने और थियेटर के साथ पढ़ने का शौक।
 

       
Language Hindi
No of pages 60
Book Publisher Red-Ink Publishers
Published Date 06 May 2020
Audio Book Length 00:29:3

About Author

Author : Gagan Deep Chauhan

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