"यह पुस्तक सार है सत् चित् और आनन्द का। इस पुस्तक के पृष्ठों में सत्य की प्रधानता, चित्त की निर्मलता और आनन्द की बहुलता है। इस पुस्तक के लेखों के माध्यम से पाठक जीव और ब्रह्म के सम्बन्धों पर गहराई से चिंतन और मनन कर पाने में सक्षम हो सकेंगे। यह पुस्तक आत्मा, परमात्मा और जीवात्मा के चिर सम्बन्धों को न केवल रेखांकित करती है बल्कि अपने लेखों के माध्यम से मनुष्य को रूपांतरित करने का प्रयास भी करती है। मनुष्य में छिपे समस्त विकारों को जड़ मूल सहित किस प्रकार समाप्त किया जा सकता है और किस प्रकार मानव आत्मोन्नति कर मोक्ष के पथ पर अग्रसर हो सकता है यही इस पुस्तक का सार तत्व है। गीता, उपनिषद, चरक संहिता, विवेक चूड़ामणि जैसे आध्यात्मिक ग्रन्थों का महत्त्वपूर्ण और तार्किक निचोड़ इन लेखों में यथायोग्य समाहित है। साथ ही शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से सम्बंधित सूत्रों का विवेचन भी लेखों के द्वारा किया गया है। वस्तुतः यह पुस्तक बीज रूप में ब्रह्म और जीव के गूढ़ रहस्यों को अपनी पूरी मौलिकता के साथ उजागर करने का एक सश्रम प्रयास है। "
"यह पुस्तक सार है सत् चित् और आनन्द का। इस पुस्तक के पृष्ठों में सत्य की प्रधानता, चित्त की निर्मलता और आनन्द की बहुलता है। इस पुस्तक के लेखों के माध्यम से पाठक जीव और ब्रह्म के सम्बन्धों पर गहराई से चिंतन और मनन कर पाने में सक्षम हो सकेंगे। यह पुस्तक आत्मा, परमात्मा और जीवात्मा के चिर सम्बन्धों को न केवल रेखांकित करती है बल्कि अपने लेखों के माध्यम से मनुष्य को रूपांतरित करने का प्रयास भी करती है। मनुष्य में छिपे समस्त विकारों को जड़ मूल सहित किस प्रकार समाप्त किया जा सकता है और किस प्रकार मानव आत्मोन्नति कर मोक्ष के पथ पर अग्रसर हो सकता है यही इस पुस्तक का सार तत्व है। गीता, उपनिषद, चरक संहिता, विवेक चूड़ामणि जैसे आध्यात्मिक ग्रन्थों का महत्त्वपूर्ण और तार्किक निचोड़ इन लेखों में यथायोग्य समाहित है। साथ ही शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से सम्बंधित सूत्रों का विवेचन भी लेखों के द्वारा किया गया है। वस्तुतः यह पुस्तक बीज रूप में ब्रह्म और जीव के गूढ़ रहस्यों को अपनी पूरी मौलिकता के साथ उजागर करने का एक सश्रम प्रयास है। "