जन्म से अंधी युवती रजनी को जब उसका 'प्रेम' हासिल हो गया तो प्रकृति ने उसकी आंखो की ज्योति भी लौटा दी|
यही नहीं, बल्कि फूलों की माला गूंथने वाली रजनी एक बड़ी संपत्ति की मालिक भी बन गई| इंदिरा ने मन, वचन और कर्म से उपेन्द्र को अपना पति माना था मगर डाकुओं द्वारा अपहृत किए जाने के बाद इंदिरा अपने पति को न पा सकी|
इंदिरा ने कुमुदिनी बन, बड़े धैर्य और लगन से अपने पति की सेवा भाव पर मोहित हो उठा| 'रजनी इंदिरा' बंगला साहित्य के यशस्वी लेखक बंकिमचन्द्र की टू- इन- वन पुस्तक है|
जन्म से अंधी युवती रजनी को जब उसका 'प्रेम' हासिल हो गया तो प्रकृति ने उसकी आंखो की ज्योति भी लौटा दी|
यही नहीं, बल्कि फूलों की माला गूंथने वाली रजनी एक बड़ी संपत्ति की मालिक भी बन गई| इंदिरा ने मन, वचन और कर्म से उपेन्द्र को अपना पति माना था मगर डाकुओं द्वारा अपहृत किए जाने के बाद इंदिरा अपने पति को न पा सकी|
इंदिरा ने कुमुदिनी बन, बड़े धैर्य और लगन से अपने पति की सेवा भाव पर मोहित हो उठा| 'रजनी इंदिरा' बंगला साहित्य के यशस्वी लेखक बंकिमचन्द्र की टू- इन- वन पुस्तक है|