Language | Hindi |
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ISBN-13 | 9789390040896 |
No of pages | 124 |
Book Publisher | Become Shakespeare |
Published Date | 04 Aug 2020 |
नामः संत कुमार शर्मा शिक्षाः स्नातकोत्तर हिंदी, संस्कृत एवं इतिहास जन्मः नई दिल्ली प्रकाशित रचनाएँ: ‘गुलदस्ता’ ‘ताण्डव आकांक्षा’ (काव्य-संग्रह) सामान्य हिन्दी भाषा, हिंदी व्याकरण एवं रचना, हिन्दी सेम्पल पेपर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होने वाले लेख एवं कविताएँ। संप्रति भारत सरकार के स्वायत्त संस्थान नवोदय विद्यालय समिति में स्नातकोत्तर हिन्दी शिक्षक पद पर का र्यरत। सम्पर्क सूत्रः [email protected] (Mob.) +91 8814067338.
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हस्तगत कविता संग्रह में प्रस्तुत कविताएँ मेरे मस्तिष्क में होने वाली हलचलों, हृदय में उठने वाले ज्वार, आंतरिक मनःस्थिति का चित्रण है। कविता को तब तक नहीं समझा जा सकता जब तक हम मानव हृदय की गहराई तक न पहुँच जाएँ। साधारण बुद्धि वाला मनुष्य कदाचित् ही कविता-कामिनी के रूप लावण्य का रसास्वादन ले सके। छिन्न-विछिन्न, कोमल, उदार हृदय ही कविता के रस का पान कर सकता है। कविता रस से परिपूर्ण एक ऐसी अभिव्यक्ति है जिसको जितना अनुभूत करेंगे उतना ही हमें रसानुभूति कराएगी। कविता में छिपी मानसिक वेदना को, उद्वेग को, हर्षातिरेक की स्थिति को समझना अत्यंत अनिवार्य है अन्यथा कविता कामिनी के रूप लावण्य एवं सौन्दर्य की अनुभूति नहीं की जा सकेगी। ‘ताण्डव आकांक्षा’ आधुनिक युग में अनवरत ह्रासमान मानवीय जीवन मूल्यों के प्रति आक्रोश के कारण रची गई रचनाएँ हैं। ‘ताण्डव आकांक्षा’ की कविताएँ कविता की कसौटी पर खरी उतरती हैं या नहीं यह तो सहृदय काव्य रसिक ही जानेंगे परंतु इस शुष्क रेगिस्तान में यदि उन्हें कहीं एक कण भी रस का उपलब्ध हो सका तो मैं अपने इस अल्प प्रयास को सार्थक समझूँगा।.