Language | Hindi |
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ISBN-13 | B01J4DBMJ6 |
No of pages | 108 |
Font Size | Medium |
Book Publisher | Raja Pocket Book |
Published Date | 25 Jul 2016 |
समाज और कुल की प्रतिष्ठा के लिए अथाह सम्पत्ति को वसीयत का रूप देती एक सशक्त कहानी|
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बंकिम की इस अनुपम शैली का अनूठा उदाहरण है उन का चर्चित सामाजिक उपन्यास ‘कृष्णकांत का वसीयतनामा’, जिस में एक ऐसी नारी की मार्मिक कथा है, जो अपने चचिया ससुर जमींदार कृष्णकांत के वसीयतनामे के मुताबिक उन की संपत्ति की मालकिन तो बन गई, किंतु फिर भी शेष जीवन पतिसुख न पा सकी-भले ही इस में उस के स्वाभिमान और अल्हड़पन का योगदान रहा हो। क्या अंतिम समय में भी उसे पति की निकटता मिल सकी?